एक मूर्त रूप देता हैं एक कवि अपनी कविता को। एक मूर्त रूप देता हैं एक कवि अपनी कविता को।
मुझे इस तरह से न बांटो के मिल ना पाऊँ, मुझे इस तरह से न कांटो के मैं जुड़ ना पाऊँ । मैं फूलों ... मुझे इस तरह से न बांटो के मिल ना पाऊँ, मुझे इस तरह से न कांटो के मैं जुड़ ना ...
बस इक मूरत बनकर चल रहा हूँ। मन यह पुछता है ये दूरी क्यों है? बस इक मूरत बनकर चल रहा हूँ। मन यह पुछता है ये दूरी क्यों है?
स्नेहमयी ममता की मूरत सजी हैं ऐसी धरा पर अपने परिवार की गाथा सदा जिसके अधरों पर. स्नेहमयी ममता की मूरत सजी हैं ऐसी धरा पर अपने परिवार की गाथा सदा जिसके अधरों ...
स्नेहमयी ममता की मूरत सजी हैं ऐसी धरापर अपने परिवार की गाथा सदा जिसके अधरोंपर। स्नेहमयी ममता की मूरत सजी हैं ऐसी धरापर अपने परिवार की गाथा सदा जिसके अधरोंपर...
नहीं है चाहत हमे धन दौलत की, ना हमे तिजोरी भरना है क्या होगा धन जुटा के जब खाली हाथ ही हमे मरना है नहीं है चाहत हमे धन दौलत की, ना हमे तिजोरी भरना है क्या होगा धन जुटा के जब खाली ...